Kendal Calling

  • Aromatherapy is a type of alternative medicine practice utilizing aromatic essential oils that are derived from a wide variety of healing plants!

  • "Aromatherapy can be performed in Herbs like rosemary, thyme, oregano or peppermint!"  - Seasick Steve

  • "Aromatherapy can be performed in Herbs like Leaves from eucalyptus plants"  - The Independent

  • "I loved Herbion Aromatherapies"  - Mark Chadwick, The Levellers

  • "Aromatherapy can be performed in Zest from fruits such as oranges, grapefruit or lemon!"  - Mr Scruff

  • "Aromatherapy can be performed in Wood or bark from trees including cedar or pine"  - Sunday Times

  • "Aromatherapy can be performed in Resin from frankincense trees!"  - The Charlatans

  • "Aromatherapy can be performed in Grasses, such as lemongrass!"  - Doves

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Vaidhraj Madan Mohan Singh

Vaidhraj Madan Mohan Singh

Wednesday, 23 November 2016 10:07

किसी बात से परेशान, आहत या दुखी होकर, व्यक्ति का मन से गहन उदास होना ही तनाव है। तनाव मन से संबंधित है। तनाव (Stress) एक तरह का द्वंद है जो संतुलन और सामंजस्य न बैठा पाने के कारण होता है। जो व्यक्ति तनाव से ग्रसित होता है उसका मन अशांत हो जाता है, भावनाएं स्थिर नहीं रह पातीं। सही और गलत का फैसला करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में संबंधित व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्थितियां दिन-प्रतिदिन खराब होती जाती हैं।

 

तनाव से होने वाली समस्याएं (Issue from Stress)

कभी तनाव (Tanav) लेने से व्यक्ति में किसी भी कार्य को बेहतर करने की लगन पैदा हो जाती है लेकिन स्थिति तब बिगड़ती है जब यह तनाव हावी होने लगता है। जब कोई भी व्यक्ति तनाव लेता है तो उसे कई प्रकार की समस्याओं से परेशान होना पड़ सकता है जैसे:

  • उसका रक्तचाप बढ़ जाता है।
  • सांसे सामान्य से तेज चलती हैं।
  • पाचन शक्ति प्रभावित होती है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है।
  • मांसपेशियां भी तनाव लेने लगती हैं।

तनाव- स्ट्रैस के लक्षण

 

तनाव के कारण (Cause of stress)

जब कोई व्यक्ति खुद पर दबाव महसूस करता है तब व्यक्ति के शरीर से कुछ खास केमिकल निकलते हैं जो शरीर को ज्यादा ऊर्जा और ताकत देते हैं जिससे आप खुद को सहज महसूस कर सकें। जब खुद को असहज या डरा हुआ महसूस करते हैं तब यह केमिकल उल्टा असर दिखाने लगते हैं। तनाव परिस्थिति पर निर्भर करता है, कोई व्यक्ति साधारण बात पर भी तनाव ले लेता है जबकि कोई व्यक्ति बिल्कुल भी तनाव नहीं लेता। कोई बड़ी- बड़ी बात भी नहीं सोचता जबकि कोई कई छोटी-छोटी बातों को एक साथ सोचता रहता है।

सामान्य बाहरी कारण (Common External Reasons)

- जीवन में कोई बड़ा नकारात्मक बदलाव
- स्कूल या कॉलेज में किसी भी तरह का कोई दबाव
- रिश्तों में दरार
- आर्थिक तंगी
- काम का ज्यादा बोझ
- बच्चे और परिवार की स्थिति ठीक न होना

 

सामान्य कारण (Common Reasons of Stress)

- बहुत दूर का सोचते रहना
- खुद से नकारात्मक बातें करते रहना
- खुद में कमी ढूंढते रहना
- खुद में आत्मविश्वास की कमी होना

सामान्य उपचार

तनाव दूर करने के टिप्स (Tips to Prevent Stress)

- किसी भी प्रकार का नशा न करें।
- भरपूर नींद और आराम जरूर करें।
- खुद के ऊपर दबाव महसूस न करें।
- मन को व्यवस्थित तथा मजबूत करने के लिए पुस्तकें ज्यादा पढ़ें।
- दूसरों को भी सुनना सीखें।
- गुस्से पर काबू रखें।
- कुछ समय निकालकर अपनी पसंद की चीजें भी करें।
- अपने अंदर के बच्चे को मरने न दें। कभी कभी बच्चों की तरह खेलना भी जरूरी है।

तनाव से बचाव के लिए घरेलू नुस्खे (Home Remedies For Stress)

भागदौड़ भरी दिनचर्या में अधिकांश लोग, तनाव (Stress) से ग्रसित हैं। तनाव से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्थिति भी प्रभावित होती है। इतना ही नहीं तनाव के कारण व्यक्ति के व्यवहार में भी परिवर्तन होते रहते हैं जिससे संबंधित व्यक्ति के साथ उससे जुड़े अन्य लोग भी प्रभावित होते हैं। तनाव से व्यक्ति की याददाश्त, सीखने की क्षमता (Learning ability), तथा कार्य करने की क्षमता (Working ability) भी प्रभावित होती है।

 

आइए आपको बताते हैं तनाव से बचाव के लिए घरेलू नुस्खे (Home Remedies for Stress):

1. ग्रीन टी (Green tea)- ग्रीन टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट (Anti Oxidents) शरीर तथा दिमाग को शांत करते हैं तथा मूड में सकारात्मक बदलाव लाते हैं। ग्रीन टी में मौजूद थियानीन (Theanine) सतर्कता और ध्यान बढ़ाता है। यदि किसी को ग्रीन टी पसंद न हो तो ब्लैक टी भी पी जा सकती है।

2. संतरा (Orange)- संतरा में विटामिन सी उच्च मात्रा में पाया जाता है जो कि इम्यूनिटी (immunity) को बढ़ाने में सहायक है। संतरे में विटामिन ए और बी के साथ अन्य स्वास्थ्य वर्धक मिनरल भी पाये जाते हैं। तनाव से राहत के लिए रोजाना संतरे का एक गिलास ताजा जूस पीएं।

3. दूध (Milk)- एक गिलास दूध शरीर को भरपूर एंटीऑक्सीडेंट और जरूरी पोषक तत्व देता है। यह सभी पोषक तत्व व्यक्ति को तनाव से लड़ने की शक्ति देते हैं और चित्त को शांत रखते हैं। रोजाना सुबह नाश्ते में तथा रात को सोने से पहले एक गिलास गरम दूध पीना तनाव से राहत देता है।

4. बादाम (Almond)- बादाम में विटामिन बी, ई, मैग्नीशियम, जिंक, सेलेनियम (selenium) तथा अन्य स्वास्थ्य वर्धक वसा पाई जाती है। जिस कारण यह तनाव से राहत देते हैं। बादाम को भून कर या कच्चा भी खाया जा सकता है। यदि ऐसे खाना संभव न हो तो बादाम का पाउडर बनाकर, दूध के साथ खाया जा सकता है।

5. पालक (Spinach)- पालक में भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी और सी से भरपूर होती हैं। इनमें मिनरल (minerals) भी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं जो तनाव से लड़ने की शक्ति देते हैं। एक कप पालक रोजाना खाने से शरीर और दिमाग दोनों को राहत मिलती है। पालक का सूप बनाकर, सब्जी, सलाद या ऑमलेट आदि में डालकर खाया जा सकता है।

6. डार्क चॉकलेट (Dark chocolate)- स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डार्क चॉकलेट खाना तनाव से बचने का बेहद आसान और स्वादिष्ट तरीका है। डार्क चॉकलेट खाने से शरीर में फील गुड हार्मोन (feel good hormone) का स्त्राव होता है जिसके कारण व्यक्ति खुशी महसूस करता है और तनाव से राहत मिलती है।

7. जामुन (Blue berries)- जामुन में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जिससे तनाव घटता है। जामुन को रोजाना खाने से तनाव, इन्सोमनिया (insomnia) और अन्य तरह के मूड डिस्ऑर्डर (mood disorder) से राहत मिलती है। जामुन को सलाद आदि में मिलाकर खाया जा सकता है। तनाव से राहत के लिए जामुन का जूस भी पीया जा सकता है।

 

Wednesday, 23 November 2016 09:52

त्वचा के रोम कूप यानि छिद्र और तैलीय ग्रंथि के बंद होने की वजह से चेहरे पर पिंपल्स (Pimples) निकलते हैं। इन्हें मुहांसे भी कहते हैं। यह कोई बीमारी नहीं है। आम तौर पर युवावस्था में लड़के-लड़कियों के चेहरे पर पिंपल्स ज्यादा निकलते हैं क्योंकि इसी उम्र में शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं। 

 

पिंपल्स का बढ़ना (Pimples in Growth Years)

डर्मेटोलोजिस्ट की मानें तो युवावस्था में त्वचा की तेल ग्रंथियों पर बैक्टीरिया का आक्रमण ज्यादा तेज हो जाता है। त्वचा की तेल ग्रंथियों से तेल का स्राव ज्यादा होने लगता है। बैक्टीरिया की संक्रमण की वजह से त्वचा में सूजन हो जाती है, पस भर जाती है। नतीजा चेहरे पर पिंपल्स निकल आते हैं।
 
पिंपल्स (Muhase) की दूसरी बड़ी वजह जीवनशैली और फूड हैबिट भी है। ज्यादा वसा यानि तेल में फ्राई किया हुआ खाना खाने, चॉकलेट के सेवन से चेहरे पर पिंपल्स निकलने की संभावना रहती है। ज्यादा कब्ज की शिकायत रहने पर भी चेहरे पर पिंपल्स निकल सकते हैं। इसलिए कब्ज से बचने के लिए अपने भोजन में साबुत अनाज और साग को शामिल करें, ज्यादा पानी पिएं।

ग्रोथ इयर्स में अकसर मुहांसे हो जाते हैं लेकिन अगर मुहांसे अधिक हो तो यह चिंता का विषय होता है। मुहांसो (Muhanse) की समस्या निम्न वजहों के कारण भी हो सकती है: 

  • किशोरआयु के लड़के-लड़कियों में सेक्स हार्मोन एंड्रोजेन के स्राव की गति तेज होने से। 
  • ज्यादा मात्रा में जंक फूड और तेल में फ्राई किया हुआ भोजन खाने से। 
  • आनुवांशिक कारणों से भी चेहरे पर पिंपल्स निकलते हैं। 
  • कॉस्मेटिक्स का चेहरे पर ज्यादा इस्तेमाल। कॉस्मेटिक्स लगाने के बाद क्लींजिंग नहीं करने से भी चेहरे पर पिंपल्स (Pimples) निकल आते हैं।
  • मृत त्वचा कोशिका के दबाव और इन कोशिकाओं में बैक्टीरिया तेजी से बढ़ने के कारण पिंपल्स निकल आते हैं। 
  • पिंपल्स की दूसरी बड़ी वजह जीवनशैली और फूड हैबिट भी है। ज्यादा वसा यानि तेल में फ्राई किया हुआ खाना खाने, चॉकलेट के सेवन से चेहरे पर पिंपल्स निकलने की संभावना रहती है। 

सामान्य उपचार

पिंपल्स होने पर क्या न करें (Treatment of Pimples)

- अपने चेहरे को बार-बार न छुएं
- बालों को चेहरे और माथे पर गिरने न दें
- मेकअप से त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं इसलिए मेकअप से परहेज बरतें और त्वचा को सांस लेने दें
- पिंपल्स को कभी भी दबाने या उसके अंदर के पस निकालने की कोशिश न करें, ऐसा करने पर गंभीर घाव हो सकते हैं
- चेहरे को दिन में दो बार से ज्यादा न धोएं। चेहरे को ज्यादा धोने पर त्वचा की तैलीय ग्रंथि ज्यादा सक्रिय हो जाती है और त्वचा से तेल का स्राव ज्यादा होने लगता है

पिंपल्स होने पर ऐसे करें उपचार (Tips to remove Pimples)

संतरे और नींबू के छिलके 
चेहरे पर साबुन लगाने की बजाय संतरे के छिलके का पाउडर या फिर ताजा संतरे या नींबू के छिलकों को लगाएं। इससे पिंपल्स की समस्या से छुटकारा मिलेगा।

एलोवेरा जूस
पिंपल्स वाली जगह पर एलोवेरा का जूस लगाएं। यह त्वचा को मुलायम बनाने के साथ-साथ पिंपल्स को भी कम करेगा।

लहसुन
लहसुन पिंपल्स की इलाज में रामबाण का काम करता है। लहसुन के एक दाने को पिंपल्स वाली जगह पर धीरे-धीरे लगाएं। अगर लहसुन न हो तो इसके पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। आधा घंटा बाद चेहरा धो लें। काफी फायदा होगा।

कच्चा पपीता
कच्चे पपीते के जूस और उसके छिलके को कॉटन के कपड़े में लपेट कर मुंहासों वाली जगह पर लगाएं। काफी असर दिखेगा।

मिंट के पत्ते और जूस
मिंट के पत्ते और इसके जूस लगाने से भी मुंहासे दूर होते हैं। रात को सोते समय लगातार दो हफ्ते तक इसे चेहरे पर आजमाएं। काफी असर दिखेगा।

शहद और नींबू का रस
शहद और नींबू का रस भी पिंपल्स के इलाज में काफी कारगर है। शहद में नींबू का रस मिला कर पिंपल्स वाली जगह पर लगाएं। पिंपल्स खत्म हो जाएंगे।

स्टीम बाथ और आइस पैक
थोड़े गुनगुने पानी में नहाने के बाद चेहरे पर धीरे-धीरे बर्फ की मालिश करें। इससे त्वचा के छिद्र खुलते हैं।

 

और भी हैं कई घरेलू उपचार (Home Remedies of Pimples)
•हल्दी के पाउडर का पेस्ट
•नीम के पत्तियों का पेस्ट
•उजला टूथपेस्ट
•खीरे का जूस और खीरे का फेस पैक
•अंडे के सफेदी का फेस मास्क
•टमाटर का जूस और टमाटर का फेस पैक
•लैवेंडर ऑयल
•स्टीम बाथ

मुंहासों से निपटने के लिए घरेलू नुस्ख़े (Home Remedies For Pimples)

त्वचा में उपस्थित तेल ग्रंथियों (oil glands) द्वारा अतिरिक्त सीबम (sebum) का स्त्राव होने के कारण मुंहासे निकल आते हैं। इस दौरान तेल ग्रंथियां बैक्टीरिया से संक्रमित भी हो जाती हैं जिनसे मुंहासे फूलकर लाल हो जाते हैं और कई बार उनमें मवाद भी भर जाता है। मुंहासे ज्यादतर चेहरे, कंधे, गर्दन और पीठ पर निकलते हैं।

वैसे तो बाजार में मुंहासों से निपटने के लिए कई तरह की क्रीम, लोशन और चेहरे को धोने (face wash) के उत्पाद मौजूद हैं लेकिन इनका असर अधिक या लंबे समय तक नहीं होता है। इन उत्पादों का प्रयोग बंद करते ही समस्या फिर से पनपने लगती है।
मुंहासों के लिए कई ऐसे घरेलू नुस्खे मौजूद हैं, जो त्वचा के लिए भी नुकसानदायक नहीं है साथ ही मुंहासों को जड़ से समाप्त करेंगे। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही घरेलू नुस्खों के बारे में-

मुंहासों से निपटने के लिए घरेलू नुस्खे (Home Remedies for Pimples)

बर्फ (Ice)

बर्फ मुंहासों की सूजन और लालिमा को जल्द से जल्द ठीक करने का गुण रखती है। बर्फ प्रभावित क्षेत्र में रक्त परिसंचरण (blood circulation) दुरूस्त करती है जिससे त्वचा के कस जाते हैं और त्वचा पर मौजूद गंदगी और तेल साफ हो जाता है। उपचार के लिए किसी पतले कपड़े में बर्फ का टुकड़ा लेकर प्रभावित स्थान की सिकाई करें।

नींबू (Lemon)

नींबू में मौजूद विटामिन सी मुंहासों को जल्दी सूखने में मदद करता है। उपचार के लिए रूई को नींबू के रस में भिगोकर प्रभावित स्थान पर लगाएं या दालचीनी पाउडर में नींबू के रस की कुछ बूंदे मिलाकर रात में प्रभावित स्थान पर लगाकर सो जाएं। सुबह गुनगुने पानी से चेहरा साफ करें।

टूथपेस्ट (Toothpaste)

मुंहासों के इलाज में टूथपेस्ट भी बहुत कारगार उपाय है। लेकिन इसके लिए साधारण टूथपेस्ट का ही इस्तेमाल करना चाहिए। जेल वाले टूथपेस्ट का इस्तेमाल करने से बचें। बर्फ से मुंहासों को सेक कर, प्रभावित स्थान पर आधे घंटे के लिए टूथपेस्ट लगाकर छोड़ दें।

स्टीम (Steam)

स्टीम लेने से भी चेहरे के मुंहासे खत्म होते हैं। जब चेहरे पर भाप ली जाती है तो रोम छिद्र खुल जाते हैं, जिससे त्वचा खुल कर सांस लेती है और इस पर मौजूद गंदगी और तेल साफ हो जाते हैं। इतना ही नहीं पोर्स में मौजूद बैक्टीरिया भी स्टीम लेने से खत्म हो जाते हैं।

लहसुन (Garlic)

लहसुन एक एंटीसेप्टिक,  एंटीऑक्सीडेंट और एंटीवायरल एजेंट है। लहसुन में मौजूद सल्फर (Sulphar) भी मुंहासों को जल्दी ठीक करने के लिए उपयोगी है। उपचार के लिए लहसुन की कली को दो टुकड़ों में काटकर मुंहसों पर रगड़ें और पांच मिनट के लिए छोड़ दें। उसके बाद चेहरा धो लें।

बेकिंग सोडा (Baking Soda)

बेकिंग सोडा चेहरे का अतिरिक्त तेल, गंदगी और मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने में मदद करता है। नींबू के रस के साथ बेकिंग पाउडर लेकर मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को मुंहासों पर लगाएं और सूखने तक छोड़ दें। इस मिश्रण को लगाने से जलन महसूस हो सकती है इसलिए इसे बहुत देर त्वचा पर नहीं रखना चाहिए।

शहद (Honey)

शहद भी मुंहासों को जल्द से जल्द ठीक करने का गुण रखता है साथ ही, यह एंटीबायोटिक दवाओं का भी एक स्त्रोत है,  इसलिए इसमें बैक्टीरिया को मारने की भी क्षमता होती है। उपचार के लिए रूई में थोड़ा सा शहद लेकर प्रभावित स्थान पर लगाएं और तकरीबन आधे घंटे के लिए छोड़ दें। शहद में दालीचीनी का पाउडर मिलाकर भी लगाया जा सकता है।

खीरा (Cucumber)

खीरा में मौजूद पोटेशियम के कारण खीरा लगाने से त्वचा को ठंडक मिलती है। खीरा में विटामिन ए, ई और सी भी मौजूद होते हैं। उपचार के खीरा को पीसकर, उसे चेहरे पर लेप की तरह लगाएं। तकरीबन 15 मिनट बाद चेहरा धो लें। इससे चेहरे के पोर्स की सफाई होगी साथ ही त्वचा के बैक्टीरिया भी खत्म होंगे।

पपीता (Papaya)

पपीता, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए का उच्च स्त्रोत है। पपीते में मौजूद एंजाइम चेहरे पर मौजूद मुंहासों की सूजन को कम करके चेहरे को चिकना बनाते हैं। उपचार के लिए पपीते को क्रश करके चेहरे पर फेस मास्क की तरह लगाएं और तकरीबन 15 मिनट बाद चेहरा धो दें। इसके अलावा पपीते में शहद मिलाकर भी चेहरे पर लगाया जा सकता है।

दालचीनी पाउडर (Cinnamon Powder)

दालचीनी पाउडर भी मुंहासों के इलाज के लिए बेहद अच्छी घरेलू दवा है। दालचीनी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। दालचीनी को सेब के सिरका के साथ मिलाकर मुंहासों पर लगाने से मुंहासे ठीक होते हैं। दालचीनी के साथ शहद मिलाकर भी चेहरे पर लगाया जा सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Wednesday, 23 November 2016 09:34

स्लिप डिस्क या कमर दर्द (Back Pain) कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह एक तरह से शरीर की यांत्रिक असफलता (Mechanical Failure) है। कमर दर्द के सबसे महत्त्वपूर्ण कारण रीढ़ से या मेरुदंड (Spinal Cord) से जुड़े होते हैं स्पाइनल कॉर्ड या रीढ़ की हड्डी स्पाइन वर्टिब्रा (Vertebrae) से मिलकर बनती है जिस पर शरीर का पूरा वजन टिका होता है। यह सिर के निचले हिस्से से शुरू होकर टेल बोन (Tail Bone) तक होती है। हमारी रीढ़ की हड्डी में हर दो वर्टिब्रा (Vertebrae) के बीच में एक डिस्क होती है जो झटका सहने का यानि शाक एब्जार्वर (Shock Absorber) का काम करती है। आगे-पीछे, दायें-बायें घूमने से डिस्क का फैलाव होता है। गलत तरीके से काम करने, पढ़ने, उठने-बैठने या झुकने से डिस्क पर लगातार जोर पड़ता है।

इससे मेरुदंड की नसों (Nerves) पर दबाव आ जाता है जो कमर में लगातार होने वाले दर्द का कारण बनता है। इस डिस्क के घिस जाने से इसमें सूजन आ जाती है, और यह उभरकर बाहर निकल आती है। इसके बाद यह रीढ़ की हड्डी से पैरों तक जाने वाली नसों पर दबाव डालती है। नसें दबने के कारण यह दर्द पैरों तक भी जा सकता है। इसमें पैर सुन्न हो जाने का खतरा रहता है। दर्द इतना कष्टदायक होता है कि मरीज अपने दैनिक कार्य करने तक में असमर्थ हो जाता है। कमर दर्द ( Peeth Ka Dard) अब लोगों के लिए एक कष्टदायक समस्या बनी हुई है। आज हर उम्र के लोग इससे परेशान हैं और दुनिया भर में इसके सरल व सहज इलाज की खोज जारी है। दिनभर बैठे कर काम करने से यह समस्या और भी बढ़ जाती है। कमर दर्द अगर नीचे की तरफ बढ़ने लगे और तेज हो जाए, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं। कभी-कभी दर्द कुछ मिनट ही होता है और कभी-कभी यह घंटों तक रहता है। 30 से 50 वर्ष की आयुवर्ग के लोग इसकी चपेट में अधिक आते हैं। वे महिला और पुरुष इसके अधिक शिकार होते हैं, जिन्हें अपने काम की वजह से बार-बार उठना, बैठना, झुकना या सामान उतारना, रखना होता है।

कमर दर्द के लक्षण

 

स्लिप डिस्क या कमर दर्द (Back Pain) होने के के कुछ प्रमुख कारण 

  • गलत पोश्चर (Posture),
  • लेटकर या झुककर पढ़ना या काम करना,
  • कंप्यूटर के आगे बैठे रहना,
  • अचानक झुकना,
  • वजन उठाना,
  • झटका लगना,
  • गलत तरीके से उठना-बैठना,
  • अनियमित दिनचर्या,
  • सुस्त जीवनशैली,
  • शारीरिक गतिविधियां कम होना,
  • गिरना,
  • फिसलना,
  • दुर्घटना में चोट लगना,
  • देर तक ड्राइविंग करना,
  • उम्र बढने के साथ-साथ हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और इससे डिस्क पर जोर पड़ने लगता है,
  • कमर की हड्डियों या रीढ़ की हड्डी में जन्मजात विकृति या संक्रमण,
  • पैरों में कोई जन्मजात खराबी या बाद में कोई विकार पैदा होना।

सामान्य उपचार

 

  • कमर दर्द के ज्यादातर मरीजों को आराम करने और फिजियोथेरेपी से राहत मिल जाती है।
  • स्लिप डिस्क या कमर दर्द की समस्या होने पर दो से तीन हफ्ते तक पूरा आराम करना चाहिए।
  • दर्द कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर दर्द-निवारक दवाएं, मांसपेशियों को आराम पहुंचाने वाली दवाएं लें।
  • जीवनशैली बदलें।
  • वजन नियंत्रित रखें। वजन बढ़ने और खासतौर पर पेट के आसपास चर्बी बढ़ने से रीढ़ की हड्डी पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
  • नियमित रूप से पैदल चलें। यह सर्वोत्तम व्यायाम है।
  • शारीरिक श्रम से जी न चुराएं। शारीरिक श्रम से मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
  • अधिक समय तक स्टूल या कुर्सी पर झुककर न बैठें। कुर्सी पर बैठते समय पैर सीधे रखें न कि एक पर एक चढ़ाकर।
  • अचानक झटके के साथ न उठें-बैठें। एक सी मुद्रा में न तो अधिक देर तक बैठे रहें और न ही खड़े रहें।
  • किसी भी सामान को उठाने या रखने में जल्दबाजी न करें। भारी सामान को उठाकर रखने की बजाय धकेल कर रखना चाहिए। जमीन से कोई सामान उठाना हो तो झुकें नहीं, बल्कि किसी छोटे स्टूल पर बैठें या घुटनों के बल नीचे बैठें और सामान उठाएं।
  • कमर झुका कर काम न करें। अपनी पीठ को हमेशा सीधा रखें।
  • ऊँची एड़ी के जूते-चप्पल के बजाय साधारण जूते-चप्पल पहनें।
  • सीढ़ियाँ चढ़ते-उतरते समय सावधानी बरतें।
  • यदि कहीं पर अधिक समय तक खड़ा रहना हो तो अपनी स्थिति को बदलते रहें।
  • दायें-बायें या पीछे देखने के लिए गर्दन को ज्यादा घुमाने के बजाय शरीर को घुमाएं।
  • देर तक ड्राइविंग करनी हो तो गर्दन और पीठ के लिए तकिया रखें। ड्राइविंग सीट को कुछ आगे की ओर रखें, ताकि पीठ सीधी रहे।
  • अधिक ऊँचा या मोटा तकिया न लगाएँ। साधारण तकिए का इस्तेमाल बेहतर होता है।
  • अत्यधिक मुलायम और सख्त गद्दे पर न सोएं। स्प्रिंगदार गद्दों या ढीले निवाड़ वाले पलंग पर सोने से भी बचें।
  • पेट के बल या उलटे होकर न सोएं।
  • परंपरागत तरीकों से आराम न पहुंचे तो सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है। लेकिन सर्जरी होगी या नहीं, यह निर्णय पूरी तरह विशेषज्ञ का होता है। 

कमर दर्द से राहत के घरेलू उपाय (Home Remedies For Back Pain)

कमर की मांसपेशियों का असंतुलित होना ही कमर दर्द का कारण होता है। कमर दर्द सही तरह से न उठने-बैठने, सोने या कमर पर क्षमता से अधिक दबाव पड़ने से होता है। लगभग 80 % लोग कभी न कभी कमर दर्द से परेशान होते हैं। कमर दर्द नया भी हो सकता है और पुराना भी हो सकता है। सतही तौर पर देखने पर कमर में होने वाला दर्द भले ही एक सामान्य सी स्थिति लगती है, लेकिन इसे नज़रअंदाज करने से समस्या काफी बढ़ सकती है।

 

जानिए कमर दर्द दूर करने के घरेलू नुस्खे (Home Remedies for Back Pain):

1. घुटने मोड़ें (Band knee)- नीचे रखी कोई वस्तु उठाते वक्त पहले अपने घुटने मोड़ें फिर उस वस्तु को उठाएं। ऐसा करने से कमर पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ेगा और कम तकलीफ होगी।

2. लहसुन (Garlic)- भोजन में लहसुन का पर्याप्त उपयोग करें। लहसुन कमर दर्द का अच्छा उपचार माना गया है। लहसुन के प्रयोग से पुराने से पुराना कमर दर्द भी ठीक होने लगता है।

3. गूगुल (Benzoin)- गूगुल कमर दर्द में बेहद राहत देता है। कमर दर्द में उपचार के लिए गूगुल की आधा चम्मच गरम पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। ऐसा करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।

4. मसाला चाय (Tea)- चाय बनाने में 5 कालीमिर्च के दाने, 5 लौंग पीसकर और थोड़़ा सा सूखे अदरक का पाउडर डालें। दिन मे दो बार इस तरह की मसाला चाय पीएं। मसाला चाय पीते रहने से कमर दर्द में लाभ होता है।

5. सख्त बिस्तर (Tough Bedding)- सख्त बिस्तर पर सोने से भी कमर दर्द में बेहद आराम मिलता है। ऐसा करने से कमर समतल रहती है और पूरी कमर पर समान दबाव पड़ता है। औंधे मुंह पेट के बल सोना भी हानिकारक है।

6. दालचीनी (Cinnamon)- 2 ग्राम दालचीनी का पाउडर एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में दो बार लेते रहने से कमरदर्द में राहत मिलती है।

7. शरीर को गर्म रखें (Warm Body)- कमर दर्द पुराना हो तो शरीर को गर्म रखें और गरम वस्तुएं खाएं। ऐसा करने से कमर दर्द में बेहद राहत मिलती है। सर्दियों में दर्द ज्यादा हो तो ध्यान रखें कि दर्द वाला हिस्सा हवा के संपर्क में न आए।

8. बर्फ की सिकाई (Ice Foment)- दर्द वाली जगह पर बर्फ का प्रयोग करना भी लाभकारी उपाय है। इससे भीतरी सूजन भी समाप्त होगी। कुछ रोज बर्फ़ का उपयोग करने के बाद गरम सिकाई प्रारंभ कर देने से अनुकूल परिणाम आते हैं।

9. पौष्टिक भोजन (Proper Nutrition)- भोजन मे टमाटर, गोभी, चुकंदर, खीरा, ककड़ी, पालक, गाजर, फ़लों का प्रचुर मात्रा में उपयोग करें।

10. भाप की सिकाई (Steam Foment)- नमक मिले गरम पानी में एक तौलिया डालकर निचोड़ लें। पेट के बल लेटकर दर्द के स्थान पर तौलिये द्वारा भाप लेने से कमर दर्द में राहत मिलती है।

11. मालिश (Massage)- रोज सुबह सरसों या नारियल के तेल में लहसुन की तीन-चार कलियाँ डालकर (जब तक लहसुन की कलियाँ काली न हो जायें) गर्म कर लें फिर ठंडा कर प्रभावित जगह पर मालिश करें।

12. नमक (Salt)- कढ़ाई में दो-तीन चम्मच नमक डालकर इसे अच्छे से सेक लें। थोड़े मोटे सूती कपड़े में यह गरम नमक डालकर पोटली बांध लें। कमर पर इसके द्वारा सेक करें।

Wednesday, 23 November 2016 09:27

अच्छी नींद अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रुरी भी है। ऐसा कहा जाता है "If you cannot sleep, you cannot heal", यानि अगर आप सोएंगे नहीं तो आप सही नहीं हो पाएंगे। नींद शरीर के लिए आराम करने का सबसे बेहतरीन तरीका है। आइएं समझें अपनी नींद को करीब से। 

 

क्यों जरूरी है नींद (Importance of Sleep)
हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त नींद बहुत ही जरूरी है। इंसान के शरीर को नींद की उतनी ही जरूरत है जितनी खाने पीने की। पर्याप्त नींद नहीं लेने से हमारी कार्यक्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है।
हर उम्र में शरीर की नींद की अवधि की जरूरत बदलती है। नवजात शिशु 18 घंटे तक सोते हैं तो वयस्कों को औसतन आठ घंटे की नींद की जरूरत होती है।

पर्याप्त नींद के अभाव का सीधा असर हमारे शरीर की चयापचय प्रक्रिया (Metabolic Process) पर पड़ता है और इससे मधुमेह (Diabetes), वज़न का बढ़ना (Weight Gain), उच्च रक्त चाप (High Blood pressure) जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

 

अनिद्रा की समस्या (About Insomnia or sleeplessness in Hindi)
चिकित्सा शास्त्र के अनुसार हफ्ते में तीन बार पूरी रात न सोने को नींद न आने की बीमारी यानि अनिद्रा (Anidra) समझा जाता है। अनिद्रा (Insomnia), दुनिया भर की आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जो किसी भी उम्र के पुरुषों और महिलाओं में हो सकती है। इन दिनों लोग विभिन्न प्रकार की अनिद्रा से पीड़ित हैं।

 

अल्पावधि अनिद्रा (Short term Insomnia)
अल्पावधि या तीव्र अनिद्रा, अनिद्रा का एक आम प्रकार है, यह कुछ दिनों के लिए होती है और कुछ दवाओं या जीवनशैली में किये गये मामूली बदलावों से होती है।

 

चिरकालीन अनिद्रा (About Chronic Insomnia in Hindi)
अगर अनिद्रा की समस्या काफी लंबे समय के लिए रहे तो यह आपके जीवन को प्रभावित कर सकती है। अगर एक व्यक्ति 30 दिनों से भी अधिक समय तक के लिये ठीक से ना सो पाए तो इसका अर्थ यह है कि वह चिरकालीन अनिद्रा (Chronic Insomnia) से पीड़ित है।

एक शोध के अनुसार, जो लोग कम सोते हैं या फिर अक्सर देर से सोते हैं, अन्य लोगों की तुलना में उनका नजरिया काफी नकारात्मक होता है और वे चिंताओं से घिरे रहते हैं। अमेरिका के बिंघमटन विश्वविद्यालय के जैकब नोटा का मानना है, ‘जो व्यक्ति नकारात्मक विचारों से परेशान है और सही समय पर नहीं सोता है तो उसे गहरी नींद नहीं आएगी'।

Wednesday, 23 November 2016 09:19

पाचनक्रिया के दौरान पेट में गैस का बनना एक सामान्य प्रक्रिया है। शरीर की अन्य प्रक्रियाओं की तरह पेट में गैस का बनना और बाहर निकल जाना भी एक सामान्य प्रक्रिया है।

कई बार पेट में गैस बनने की तीव्रता बढ़ जाती है और पेट के भीतर बनने वाली इस गैस के बाद पेट में तीव्र पीड़ा होने लगती है। अगर यह समस्या अकसर होने लगे तो यह गम्भीर बीमारी का रूप ले लेती है जिसे गैस्ट्रिक (Gastric Problem) के नाम से जाना जाता है। 

 

बदहजमी या गैस्ट्रिक की समस्या (Gastric Problem) 

मानव शरीर में गैस्ट्रिक म्यूकोसा (Gastric Mucosa) के द्वारा हाइड्रोक्लोरिक एसिड बनता है जो मानव शरीर पर प्रभाव डालता है और गैस की समस्या से निजात दिलाता है। अगर हाइड्रोक्लोरिक एसिड सही प्रकार से नहीं बनता है तो भोजन भी सही से नहीं पच पाता है।

आधुनिक जीवन शैली ने इस समस्या को बढ़ावा दिया है। गैस्ट्रिक बीमारी का सीधा संबंध खानपान से है। जो लोग भोजन में चटपटा, तला, मिर्च मसालेदार, खट्टा, नींबू, संतरा आदि का सेवन अधिक करते हैं उन लोगों को यह समस्या जल्दी होती है।

इनके अलावा जो लोग चाय, काफी, चालकेट, शराब का अधिक सेवन करते हैं, वे भी इस रोग से ग्रसित हो जाते हैं। तनावग्रस्त रहने वाले लोगों को भी गैस की समस्या (Gastric Problem) अधिक होती है।

बदहज़मी के लक्षण

 

गैस्ट्रिक प्रॉब्लम के कुछ प्रमुख कारण (Main Causes of Gastric Problem):

  • अनियमित जीवनशैली
  • ज्यादा तनाव
  • ज्यादा तला- भुना भोजन
  • स्मोकिंग, ड्रिंकिंग
  • राजमा, काले चने, सफेद चने, लोबिया, सूखे हरे मटर, पॉपकॉर्न, सूखी मक्कई जैसे अनाज पेट में गैस पैदा कर सकते हैं।

सामान्य उपचार

 

बदहजमी या गैस्ट्रिक की समस्या से निजात पाने का सबसे अच्छा तरीका है खानपान का ध्यान रखना। डॉक्टरों के अनुसार गैस्ट्रिक से निजात पाने के आसान उपाय निम्न हैं: 

 

बदहजमी के उपाय (Treatment of Gastric Problem)

  • गैस की बीमारी में उपचार के साथ अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर इससे छुटकारा पाया जा सकता है।
  • गैस्ट्रिक रोगियों को बचाव के लिये कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि रोग ज्यादा न बढ़ पाये।
  • दिन भर में मुख्य आहार 2 बार के स्थान पर 3-4 बार थोड़ी मात्रा में करें।
  • तनाव न लें और जल्दबाजी से बचें, गुस्से पर काबू रखें।
  • व्यायाम और गरम पानी पीने से भी गैस्ट्रिक के रोगियों को आराम मिलता है। 

बदहजमी के लिए घरेलू उपाय (Home Remedies For Gastric Problem)

Home Remedies for Gastric Problem

गैस को चिकित्सीय भाषा में अपच के रूप में जाना जाता है। गैस के लक्षण सूजन, डकार, जलन और मतली हो सकते है। गैस और अपच हमारे पेट में पाचक रस के स्राव से होने वाली समस्याएं हैं। पेट में मौजूद एसिड पेट के अंदर जलन पैदा करना शुरू कर देता है। इसमें व्यक्ति को बेचैनी, सीने और पेट में जलन महसूस होती है।

गैस की समस्या ज्यादा तैलीय या मसालेदार खाना खाने से होती है, साथ ही यदि पेट खाली है तब भी गैस की समस्या हो सकती है। बहुत ज्यादा चाय या कॉफ़ी पीने वालों को भी गैस की समस्या हो सकती है। गैस की समस्या यदि बढ़ जाए तो समस्या गंभीर हो सकती है इसलिए समय रहते इस पर काबू करना आवश्यक होता है। आइए आपको बताते हैं कुछ घरेलू उपाय जिन्हें अपनाकर आप गैस की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।

1. धनिया (Dhaniya)
धनिया के इस्तेमाल से पेट में गैस के कारण होने वाली जलन में राहत महसूस कर सकते हैं। एक गिलास छाछ में भुना हुआ धनिया मिलाकर पीने से गैस से राहत मिलती है।

2. सौंफ के बीज (Saunf seeds)
मसालेदार या वसायुक्त भोजन करने के कारण गैस और अपच जैसी समस्याएं होती हैं, इसके लिए सौंफ के बीच से इसका इलाज संभव है। सौंफ के बीज में मौजूद तेल, मतली और पेट फूलना जैसी समस्याओं से राहत देता है। सौंफ को सुखाकर, भूनकर उसका पाउडर बना लें। दिन में दो बार इस पाउडर के इस्तेमाल से गैस से काफी हद तक राहत मिल जाती है।

3. काली मिर्च (Black Peeper)
हमारे पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कमी को पूरा करने के लिए काली मिर्च का उपयोग बहुत कारगर हो सकता है। काली मिर्च से आमाशय रस का प्रवाह बढ़ता है, जिससे यह पाचन में मदद करती है। गुड़ में काली मिर्च का पाउडर मिलाकर अपच के दौरान छाछ के साथ लिया जा सकता है। इसके अलावा काली मिर्च, सूखे पुदीना के पत्ते, सौंठ पाउडर और धनिया बीज बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से भी अपच में फायदा होता है।

4. लौंग (Laung or Clove)
लौंग आंत गतिशीलता और जठरांत्र स्राव को बढ़ाती है जिससे गैस और अपच की समस्या खत्म हो जाती है। इसके लिए लौंग को चबाएं। पेट में जलन से छुटकारा पाने के लिए लौंग का तेल इस्तेमाल किया जा सकता है।

5. सेब का सिरका (Apple cider vinegar)
सेब का सिरका गैस और अपच दोनों से राहत देता है। यह हमारे पेट को आवश्यक एसिड प्रदान करता है। गैस के इलाज के लिए इसे पानी और शहद के साथ लिया जा सकता है।

6. छाछ (Butter Milk)
अपच और गैस के इलाज के लिए छाछ बहुत फायदेमंद है। इसमें अधिक लैक्टिक एसिड होता है और यह दूध की तुलना में पचने में आसान होता है।

7. बेकिंग सोडा (Baking Soda)
बेकिंग सोडा में अतिरिक्त एसिड का मुकाबला करने के लिए एक प्रभावी और सामान्य रूप से एंटासिड उपलब्ध रहता है। सोडा का मूल स्वभाव नमक और पानी के गठन से पेट में अतिरिक्त हाइड्रोक्लोरिक एसिड बनाना होता है। जिससे गैस से राहत मिलती है।

8. हर्बल चाय (Herbal Tea)
हर्बल चाय पाचन सहजता में प्रभावी ढंग से काम करती है। पुदीना, रैस्बेरी और ब्लैकबेरी चाय को अपच को कम करने के लिए खाना खाने के बाद लिया जा सकता है। पुदीना और कैमोमाइल (Mint and Camomile) तेज पेट दर्द होने पर फायदेमंद हैं।

9. लहसुन (Garlic)
लहसुन से मुँह में तेज गंध आ सकती है लेकिन इसकी छोटी सी कली में गैस की समस्या से राहत पाने के अभूतपूर्व गुण होते हैं। गैस को दूर करने में लहसुन बहुत फायदेमंद है। लहसुन का इस्तेमाल सूप में करने से यह पाचनशक्ति को और मजबूत करता है। इसके अलावा पानी में लहसुन को उबालकर उसमें काली मिर्च और जीरा डालें, इस घोल को ठंडा होने दें। इसे एक दिन में दो से तीन बार पीएं।

10. अदरक (Ginger)
अदरक खाने में न केवल सुगंध और चरपराहट जोड़ता है बल्कि खाने को पचाने में भी सहायक है। अदरक खाद्य पदार्थ के रूप में या अदरक की चाय में इस्तेमाल किया जाता है जिससे यह लार, पित्त रस और आमाशय रस में उत्तेजना पैदा करने में मदद करता है। कॉफी और सोडा की तुलना में अदरक की चाय पीना बहुत अधिक लाभदायक है।

11. इलायची (Elaichi)
इलायची पेट में गैस और में अपच में बहुत आरामदायक होता है। इसमें मौजूद वाष्पशील तेल पाचन विकार को दूर कर गैस और अपच से राहत देते हैं। इलायची के बीज का यूं ही सेवन किया जा सकता है या खाना पकाने, चाय आदि में भी इलायची या इलायची पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं।

12. नींबू (Lemon)
गैस की रोकथाम और अपच के इलाज करने वाले प्राकृतिक उपायों में से एक नींबू है। गर्म पानी के साथ नींबू का रस मिलाकर पीने से उल्टी, गैस और डकार से छुटकारा मिल सकता है। यह एक सफाई एजेंट के रूप में, एक रक्त शोधक के रूप में कार्य करता है और पित्त रस का उत्पादन करके शरीर में पाचन तेज करता है। सुबह एक गिलास ताजे पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से भी पाचनतंत्र मजबूत होता है।

13. हींग (Hing)
हींग से पेट फूलना, पेट दर्द और कब्ज जैसी कई पाचन संबंधी समस्याओं का इलाज कर सकते हैं। एक चुटकी हींग दिन में दो से तीन बार गर्म पानी के साथ ली जा सकती है।

14. अजवाइन (Ajwain)
गैस से छुटकारा पाने के लिए दादी-नानी का नुस्खा है। इसके इस्तेमाल से पेट की लगभग हर समस्या का इलाज कर सकते हैं। तत्काल राहत के लिए अजवाइन में नमक मिलाकर पानी के साथ लें।

15. गर्म पानी (Warm water)
अन्य जड़ी बूटियों और मसालों के साथ इस्तेमाल करने के अलावा सिर्फ गर्म पानी भी आपको गैस और अपच से तत्काल राहत दे सकता है। यह शरीर में मौजूद सभी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर हमारे शरीर की सफाई में मदद करता है। सुबह एक गिलास गर्म पानी और खाने के बाद गर्म पानी पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।

Wednesday, 23 November 2016 06:55

मधुमेह या डायबिटीज हाल के सालों में होने वाला सबसे खतरनाक जीवनशैली रोग माना जाता है। हर साल कई हजार लोग इससे प्रभावित होते हैं। आइयें जानें मधुमेह के बारें में जिसे लोग आम बोलचाल की भाषा मे शुगर (Sugar ki Bimari) भी कहते हैं। 

 

मधुमेह या डायबिटीज (About Diabetes in Hindi)

किसी भी कार्य को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। शरीर को भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है और रीर इसकी पूर्ति, शरीर में उपलब्ध ग्लूकोज़ से करता है।

रक्त से ग्लूकोज़ इन्सुलिन नामक हार्मोन के द्वारा कोशिकाओं में पहुंचकर ऊर्जा प्रदान करता है। शरीर में इन्सुलिन का उत्पादन अग्न्याशय (pancreas) के द्वारा होता है।

भोजन शरीर में जाकर ग्लूकोज़ में परिवर्तित हो जाता है और ग्लूकोज़ रक्त में मिल जाता है। मधुमेह रोगी शरीर में उपलब्ध ग्लूकोज़ का पूरा उपयोग नही कर पाता है।

मधुमेह, चयापचय विकार (Metabolic Disorder) है। रक्त में ग्लूकोज़ की बढ़ी हुई मात्रा का अगर सही समय पर उपचार नही किया जाये तो यह शरीर के महत्वपूर्ण अंगो के लिए काफी नुकसानदायक होती है।

 

मधुमेह के प्रकार (Types of Diabetes in Hindi)

मधुमेह को दो श्रेणियों में रखा गया है, शरीर का इन्सुलिन न बना पाना टाईप । मधुमेह (Type I Diabetes) और शरीर में उपस्थित इन्सुलिन का सही तरीके से काम नहीं करना टाईप ॥ मधुमेह (Type II Diabetes), जिसके कारण ग्लूकोज़ कोशिकाओं में नहीं जाता है और रक्त में उसकी मात्रा बढ़ जाती है।

टाईप 1 मधुमेह (Type 1 Diabetes): यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Autoimmune Disorder) है, इसमें शरीर की श्वेत कोशिकाएं अग्नाशय की इन्सुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं।

टाईप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes): टाईप 2 मधुमेह में शरीर में उत्पादित इन्सुलिन का सही उपयोग नहीं हो पता है। शरीर में इन्सुलिन की अतिरिक्त मात्रा के कारण अग्नाशय इन्सुलिन नही बनाता है।

मधुमेह के लक्षण

 

मधुमेह के कई कारण होते हैं जैसे गलत जीवनशैली, मोटापा, अधिक मीठा खाना आदि। मधुमेह के जो कारण सबसे अधिक देखे जाते हैं वह निम्न हैं: 

मधुमेह होने के कारण (Causes of Diabetes in Hindi)

  • मोटापा (Diabetes due to Obesity): मोटापा टाईप 2 मधुमेह होने का सबसे बड़ा कारण है। 
  • आनुवांशिक (Hereditary): इसे खानदानी रोग भी कहते है। अगर परिवार में किसी को टाईप 2 मधुमेह है या था तो सावधानी बरतने की ज़रूरत है।
  • गर्भावस्था में रक्त में ग्लूकोज़ की अधिक मात्रा (High sugar levels during pregnancy)
  • रक्त वाहिका रोग (Blood vessel disease)
  • उच्च रक्त चाप और उच्च कोलेस्ट्रोल लेवल (High blood pressure, high cholesterol)
  • प्री डायबिटिक (Pre-diabetes or impaired fasting glucose)

सामान्य उपचार

 

मधुमेह या डायबिटीज से बचाव का सबसे बढ़िया उपाय है इसकी जानकारी रखना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना। डायबिटीज से बचने के कुछ खान उपाय निम्न हैं: 

मधुमेह से बचाव (Treatment and Remedies for Diabetes in Hindi)

  • प्रतिदिन एक घंटा व्यायाम जरूर करें।
  • अपने घर में प्रतिदिन मधुमेह का टेस्ट करें। रक्त में शुगर की मात्रा का ध्यान रखें।
  • इन्सुलिन इंजेक्शन (Insulin Injetion) को तैयार करना और स्वयं लगाना आना चाहिए।
  • एक इन्सुलिन पम्प (Insulin Pump) साथ रखना।
  • कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) की गिनती को ध्यान में रखना।
  • रक्तचाप (Blood Pressure) कम होने पर मत्वपूर्ण जानकारी का ध्यान रखना

योग आसन (Yog Aaasan for Diabetes)

  • प्राणायाम
  • सेतुबंधासन
  • बालासन
  • वज्रासन
  • सर्वांगासन

अन्य उपचारआयुर्वेद

घरेलू उपचार मधुमेह 1 (Home Treatment 1 Diabetes)

  • दिन में एक बार 2 चम्मच करेले के रास का सेवन करें।
  • दिन में दो बार 1 चम्मच मेथी के पाउडर का सेवन पानी के साथ अवश्य करें।  
  • दिन में एक बार 2 चम्मच कड़वी लौकी के रस को एक चम्मच आंवला के रास के साथ मिलकर कर सेवन करें।
Wednesday, 23 November 2016 06:52
  • आयुर्वेदिक दवाएं बहुत सुरक्षित हैं और काफी हद तक समस्या का इलाज है। कुछ आम दवाओं कंटकारी अवालेह, अगस्त्याप्रश, चित्रक, कनाकसव का प्रयोग किया जा सकता है। 
  • रात का खाना हल्का व सोने से एक घंटे पहले लें।
  • सुबह या शाम टहलें और योग में मुख्य रूप से ‘प्राणायाम’ और भावातीत ध्यान करें।
  • अधिक व्यायाम से बचे।
  • हवादार कमरे में रहें और सोएं। एयर कंडीशनर, कूलर और पंखों की सीधी हवा से बचें।
  • ठंडे और नम स्थानों से दूर रहें।
  • धूम्रपान चबाने वाली तम्बाकू, शराब और कृत्रिम मिठास और ठंडे पेय न लें। जिन्हें इत्र से इलर्जी हैं, वे अगरबत्ती, मच्छर रेपेलेंट्स का प्रयोग न करें।
  • 2/3 गाजर का रस, 1/3 पालक का रस, एक गिलास रोज पिएं।
  • जौं, कुल्थी, बथुआ, द्रम स्तिच्क अदरक, करेला, लहसुन का अस्थमा में नियमित रूप से सेवन किया जा सकता है।
  • मूलेठी और अदरक 1/2-1/2 चम्मच एक कप पानी में लेना बहुत उपयोगी होता है।
  • तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
  • जो लोग इस रोग की चपेट में आ चुके हैं, उनके लिए हर ऋतु के प्रारम्भ में एक-एक सप्ताह तक पंचकर्म की नस्य या शिरोविरेचन चिकित्सा इस रोग की रोकथाम में सहायक होती है।
  • दिल्ली के शालीमार बाग स्थित महर्षि आयुर्वेद अस्पताल में इसकी अच्छी व्यवस्था है।
  • रात-विरात यदि दमा प्रकुपित हो जाए, तो छाती और पीठ पर गर्म तिल तेल का सेंक करें।
  • घर में एक शीशी प्राणधारा की अवश्य रखें। उसमें अजवाइन का सत् होता है, जिसकी भाप दमा के दौरे में राहत देती है।
  • 1/4 चम्मच सोंठ, छ: काली मिर्च, काला नमक 1/4 चम्मच, तुलसी की 5 पत्तियों को पानी में उबाल कर पीने से भी दमा में आराम मिलता है।
  • 1/4 प्याज का रस, शहद एक चम्मच, काली मिर्च 1/8 चम्मच को पानी के साथ लें।
Wednesday, 23 November 2016 06:46

आयुर्वेद में किफायती और केमिकल रहित अनेक उपाय हैं जो त्वचा को मुलायम (Soft), कोमल (Supple) और सुंदर (Beautiful) बनाते हैं। इन्हें जानने से पहले आइये उन कारणों के जानते हैं जो हमारी त्वचा को रुखा बनाते हैं।

त्वचा में रुखेपन के कारण (Causes of Dryness in Skin)

  • उम्र का बढ़ना
  • मौसम में परिवर्तन
  • शरीर में वात (Vata) का बढ़ जाना
  • तनाव (Stress)
  • संतुलित भोजन (Balanced Diet) न ग्रहण करना

त्वचा में रुखेपन के आयुर्वेदिक नुस्खे (Ayurvedic Tips to curb Dryness in Skin)

1. सब्जियों का सेवन (Intake of Vegetables)

हमें पानी से भरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए जो पाचन में आसान होती हैं जैसे गाजर, लौकी, खीरा, मूली आदि। यह सब्जियाँ त्रिदोषक होती हैं और हर प्रकार की त्वचा के लिए लाभदायक होती हैं। हमें प्रतिदिन कम से कम तीन सब्जियों का सेवन करना चाहिए। 

2. चिड़िया की तरह सेवन (Eat Like A Bird)

परम्परागत आयुर्वेद में बताया गया है की हमें सीड्स और नट्स (Seeds and Nuts) का सेवन भोजन के साथ करना चहिये। ऐसा करने से हमारी त्वचा में अच्छा बदलाव आता है और वह साफ़ दिखाई देता है। वात के कारण हमारी तवचा खुश्क (Dry Skin) हो जाती है परन्तु सीड्स और नट्स में ओमेगा 3 (Omega 3) और प्राकृतिक फैट्स पाये जाते है जो त्वचा को संतुलन प्रदान करते हैं। इनमे फाइबर (Fiber) भी पाया जाता है जो हमारे हाजमे की कमजोरी को दूर करता है। 

3. हर्बल चाय (Herbal Tea only)

वात से खुश्की बढ़ जाती है और नमी की कमी के कारण त्वचा की कोमलता नष्ट हो जाती है। इससे बचने के लिए हम गर्म पदार्थ जैसे हर्बल टी आदि का दिन में कई बार सेवन कर सकते हैं। अदरक और नींबू के मिश्रण से तैयार चाय का सेवन करने से त्वचा हमेशा चमकती रहती है। इससे पाचन भी ठीक रहता है। 

4. व्यायाम कीजिये (Do Exercise)

व्यायाम से हम शरीर में वात का बढ़ना रोक सकते हैं। यही नही, व्यायाम करने से हमारे शरीर के टॉक्सिन्स पसीने के रूप में बहार निकल जाते हैं, जो स्वतः अपने आप में त्वचा की चमक बरकरार रखने में महत्वपूर्ण होता है। 

5. श्वास प्रक्रिया (Breathing)

मानसिक और भावुक तनाव भी शरीर में वात बढ़ा देता है, जिससे त्वचा का रूखापन बढ़ जाता है। श्वास प्रक्रिया पर ध्यान देने से हम तनाव मुक्त हो सकते हैं और अपने शरीर में वात को बढ़ने से रोक सकते हैं।

Wednesday, 23 November 2016 06:44

हमें अपनी त्वचा की देखभाल भी प्राकृतिक तरीके (Natual Skin Care) से ही करना चाहिए क्योंकि प्रकृति में ही छिपा है हमारी सुंदरता का राज। बस हमें इसके असर और इस्तेमाल की जानकारी होनी चाहिए। इसमें न तो कोई साइड इफेक्ट का डर है और न ही किसी रिएक्शन का खतरा।

चेहरे और त्वचा का सौन्दर्य, रंगत और कोमलता बढ़ाना चाहते हैं तो हमें प्राकृतिक सौन्दर्य प्रसाधन का इस्तेमाल इसलिए भी करना चाहिए क्योंकि इससे हमारे चेहरे और त्वचा में कुदरती आभा आएगी और यह सुंदरता टिकाऊ भी होगी।

त्वचा को सबसे ज्यादा नुकसान (Harmful Elements for Skin) सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों, धूप, प्रदूषण, तनाव, नींद की कमी, ध्रूमपान और शराब के सेवन से होती है।

बाजार में बिकने वाले महंगे सौंदर्य उत्पाद पर यकीन करने की बजाय अगर हम घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खों (Home based Ayurvedic Remedies) को आजमाएं तो त्वचा में निखार और चमक आने के साथ-साथ त्वचा स्वस्थ भी रहेगी।

ग्लोइंग स्किन 10 आयुर्वेदिक नुस्खे (Ayurvedic Tips for Glowing Skin)

1. हल्दी से हटते हैं मुहांसे 
हल्दी एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक एंटी-फंगल है। इसके लेप लगाने से त्वचा पर मुहांसे, पिंपल और पिग्मेंटेशन नहीं होते हैं।

2. चंदन से स्किन में आता ग्लो
बाजार में त्वचा की देखभाल के लिए बिकने बनने वाले ज्यादातर कॉस्मेटिक में चंदन का इस्तेमाल होता है। चंदन से त्वचा में निखार आता है। चंदन त्वचा को ठंडक भी पहुंचाता है। इसके इस्तेमाल से त्वचा पर दाने और मुहांसे नहीं होते हैं।

3. एलोवेरा त्वचा की करती सुरक्षा
एलोवेरा एक नेचुरल एंटी क्लिंजर (Natural Skin Cleanser) है। इससे त्वचा चमकदार बनती है। इसमें पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमटरी गुण से त्वचा की बाहरी परत को सुरक्षा मिलती है। इसके इस्तेमाल से स्किन इंफेक्शन (Skin Infection) होने पर होने वाली जलन भी कम होती है।

4. नीम की पत्ती से त्वचा में आती चमक
त्वचा के लिए नीम की पत्ती काफी कारगर होती है। इससे त्वचा में प्राकृतिक निखार आता है। नीम की पत्ती के पाउडर और पिसी हुई गुलाब की पंखुड़ी को नींबू के रस के साथ मिलाकर लगाने से त्वचा में चमक आती है।

5. एवाकाडो से स्किन को मिलता प्रोटीन
एवाकाडो (Avocado) से त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है। यह ड्राय स्किन वालों के लिए काफी कारगर है। एवाकाडो में प्रोटीन होता है, जो त्वचा के लिए काफी फायदेमंद है।

6. नींबू से मिटती हैं झुर्रियां
चेहरे पर नींबू का रस लगाएं। निचोड़े गए नींबू के छिलके भी चेहरे पर कुछ दिन तक मल सकते हैं। इससे चेहरे की झुर्रियां मिटेंगी। मुंह धोते समय गालों को हथेलियों से थपथपाकर सुखाएं, इससे गालों में रक्त का संचार बढ़ता है और झुर्रियां मिट जाती हैं।

7. डार्क स्पॉट मिटाने के लिए टमाटर है कारगर
चेहरों का डार्क स्पॉट (Dark Spots) मिटाने में टमाटर काफी असरदार है। टमाटर के रस में नींबू का रस, हल्दी पाउडर और बेसन मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को गालों पर लगाएं। सूखने के बाद पानी से चेहरे को धो लें। रोज एक बार इसे आजमाएं। डार्क स्पॉट खत्म हो जाएँगे।

8. चुकंदर चेहरे को बनाएगी गुलाबी
चुकंदर का सेवन त्वचा में गुलाबी निखार लाता है। चुकंदर में काफी मात्रा में आइरन होता है, जिससे हीमोग्लोबिन मिलता है। इसे पीस कर चेहरे पर भी लगा सकते हैं। रोजाना इसे आजमाने से चेहरे पर गुलाबी निखार आता है।

9. अंकुरित चना और मूंग खाएं
अंकुरित चना और मूंग सुबह-शाम खाएं। इससे चेहरे की झुर्रियां खत्म होंगी। चना और मूंग में विटामिन ई होता है, जो झुर्रियां मिटाने में कारगर होता है। चना और मूंग नियमित खाने से स्किन में ग्लो आता है।

10. गाजर का रस पीएं
गाजर में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है, एक ग्लास गाजर का रस रोज पिएं। इससे त्वचा में निखार आता है, झुर्रियां गायब होती हैं।

Wednesday, 23 November 2016 06:40

सिर्फ महिलाओं ही नहीं बल्कि पुरुषों को भी अपने बालों से प्यार से होता है। कुछ को तरह-तरह के हेयर स्टाइल पर प्रयोग करना पसंद आता है तो कुछ को अपने कुदरती केश विन्यास पर ही नाज होता है। बदलते जमाने के साथ फैशनबल दिखने की होड़ में अब हेयर स्टाइल को लेकर रोज नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। नतीजा असमय ही बालों का झड़ना-टूटना, बालों का कमजोर होना जैसी शिकायतें आम होने लगी हैं। फैशन, प्रदूषण, अनहेल्दी खाना और तनाव ने हसीन जुल्फों को दिन में दिखने वाले सपने जैसा बना दिया है। मगर यह सपना हकीकत भी बन सकता है अगर हम कुछ नेचुरल हेयर केयर टिप्स आजमाएं।

नारियल तेल की मालिश
नारियल तेल के फायदे को हम भूलते जा रहे हैं। बालों की मजबूती के लिए नारियल तेल काफी फायदेमंद है। रोजाना अगर हम 15 मिनट तक बालों की मसाज नारियल तेल से करें तो बाल सिल्की तो होंगे ही, बालों का झड़ना भी बंद हो जाएगा।

शहद और अंडे की मालिश
शहद बालों के पोषण के लिए बेस्ट है। इससे बालों की जड़ों को पोषण मिलता है। अगर शहद के साथ अंडे की जर्दी मिला दे तो इसका असर दोगुना हो जाता है। बालों की जड़ यानि स्कैल्प को इससे जरुरी प्रोटीन यानि केराटिन मिलता है।

भृंगराज के तेल की मालिश
भृंगराज के औषधीय गुणों से बालों को काफी फायदा पहुंचता है। रोजाना भृंगराज के तेल से बालों की मालिश करने से बाल काले और घने होते हैं। इससे बालों का झड़ना बंद हो जाता है। इसे लगाने से बालों में रुसी भी कम होती है। यह सर को ठंडक भी पहुंचाता है।

 

बालों से जुड़े अन्य असरदार टिप्स: 
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बादाम के तेल की मालिश
बादाम न सिर्फ दिमाग को तंदुरुस्त रखता है बल्कि बालों को भी जरुरी पोषण देता है। बादाम में विटामिन ई पाया जाता है जिससे बालों को मजबूती मिलती है। हफ्ते में एक दिन बादाम तेल से बालों की मालिश जरुर करनी चाहिए। इसके इस्तेमाल से बालों का झड़ना रुकता है।

बालों को मॉइश्चराइज करें
बालों के मॉइश्चराइजेशन के लिए पांच प्रकार के तेलों का इस्तेमाल करें। बादाम, कैस्टर, जैतून, नारियल और लैवेंडर के तेल की बराबर मात्रा ले कर इसे मिक्स कर लें। इस मिक्स ऑयल से बालों की मसाज करें और फिर इसे चार घंटे तक छोड़ दें। इसे हफ्ते में दो दिन आजमाएं। बाल में शाइनिंग तो आएगी ही साथ ही बालों की जड़ों को मजबूती भी मिलेगी।

हेयर केयर के लिए क्या करें
- बालों के स्कैल्प साफ रखें
- रोजाना माइल्ड शैंपू करें
- हफ्ते में एक दिन 15 मिनट तक बालों की मसाज तेल से करें
- हमेशा हर्बल हेयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें
- रूखे और बेजान बालों में सीरम का प्रयोग करें। इससे बालों में शाइनिंग आएगी
- बालों को सूखा रखें
- बालों की जड़ों की मसाज करें

हेयर केयर के लिए क्या नहीं करें
- हेयर कलर से संभव हो तो परहेज करें
- हेयर जेल व हेयर स्प्रे का इस्तेमाल ज्यादा नहीं करें
- गीले बालों को नहीं बांधें इससे स्किन इंफेक्शन का खतरा रहता है
- बालों की सुंदरता के लिए बाजार में बिकने वाले हेयर कलर, हेयर डाई, जेल के ज्यादा इस्तेमाल से बचें.

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